सम्मोहन करने की विधि
सम्मोहन यानि हिप्रोटिज्म व्यक्ति के मनोविज्ञान को दर्शाता है, तो यह जीवन में बहुत ही महत्व रखता है। सदियों से इसे परामनोविज्ञान की एक श्रेष्ठ विद्या के तौर पर उपयोग किया जाता रहा है। किसी को अपने आचरण, बात-व्यवहार, रूप-रंग व सौंदर्य से आकर्षित तो किया जा सकता है, लेकिन उसे तुरंत अपने सम्मोहन में नहीं बांधा जा सकता है। जो कोई इस विद्या में पारंगत होते हैं, या कहें इसकी असाधारण सिद्धि हासिल करने में सफल हो जाते हैं, वे इसकी अद्भुत शक्ति का चमत्कारी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसे विभिन्न कार्यों के अतिरिक्त रोगों के उपचार के लिए एक बेहतरीन तरीका बताया गया है।
सम्मोहन के लिए विभिन्न विधियां के द्वारा व्यक्ति के अवचेतन अर्थात आत्मचेतन मन को जाग्रत किया जाता है। ऐसा होने पर वह व्यक्ति सम्मोहन करने वाले के निर्देशों का एक आज्ञाकारी की तरह पालन करने लगाता है। रोजमर्रे के जिन कार्यों को हम सहजता से पूरा करते हैं, वह मस्तिष्क के संचालन से संभव होता है। यह कहें कि मस्तिष्क के एक हिस्से में इस बात की पूरी जानकारी होती है कि हमें क्या करना है, और किस हद तक कार्य को संपन्न करना है। यह हमारी तार्किक चेतनावस्था को दर्शाती है।
अवचेतन मन में गहरी सुसुप्तावस्था बनी रहती है और हमारे मस्तिष्क की सक्रियता को जागृत करने की जरूरत पड़ती है। सम्मोहन निर्देश मानने या सुझाव को स्वीकारते हुए मन को इस कदर प्रभावित करता है कि व्यक्ति मनोवांछित प्रभाव की चपेट में आए बिना नहीं रह पाता है। उसकी स्थिति एक आत्मसम्मोहित जैसी हो जाती है। किसी को सम्मोहित करना अगर एक असाधारण कार्य है, तो एक सम्मोहित व्यक्ति अपनी एकात्मकता को श्रेष्ठता के साथ प्रदर्शित करता है। उसके भीतर की ऊर्जा एक शक्तिशाली पुंज बन जाती है, जिसे विज्ञान की भाषा में एकत्रित स्थितिज ऊर्जा कह सकते हैं। थोड़े से प्रयास से इस ऊर्जा में गतिशीलता प्रदान की जा सकती है।
सम्मोहन की विधियां
सम्मोहन के लिए मन को ताकतवर बनाने के अगर कुछ साधारण उपाय बताए गए हैं, तो तंत्र, मंत्र और यंत्र को भी इसके लिए उपयोगी बताया गया है। सरल तरीका योग का है, जिसमें प्राणायाम से मन की स्थिरता हासिल की जा सकती है। इसके साथ ही सभी इंद्रियों में एक अद्भुत शक्ति हासिल करने के लिए स्थिर मन को एक दिशा में केंद्रित किया जाता है। यह ध्यान, प्राणायाम और नेत्र त्राटक से संभव है।
एक अन्य तरीका शवासन का है। इस स्थिति में लेटकर आंखें बंद किए हुए ध्यान करना होता है। ऐसा करने वाले व्यक्ति को योग निद्रा में जाने का अभ्यास करना चााहिए। इस अवस्था में शरीर का चेतन मन सुसुप्तावस्था में आ जाता है, जबकि अवचेतना जागृत रहती है। यह स्थिति ठीक उसी तरह की होती है जिसमें शरीर और मन की सुसुप्तावस्था होने बावजूद व्यक्ति जागृत रहता है। इस स्थिति में वह खुद को निर्देशित भी कर सकता है। यह कहें कि जागा हुआ व्यक्ति भी नींद में सोया रहता है।
सम्मोहन की अन्य अपनाई जानेवाली साधारण विधियों में अंगूठे या किसी वस्तु को कुछ समय तक एकटक निहारना भी है। यह एक साधना की तरह है। जैसे आंखों के ठीक सामने जलती हुई मोमबत्ती या लाल बल्ब को निहारने या फिर घड़ी के पेंडुलम को देखते रहने से एक सम्मोहन चक्र का एहसास किया जा सकता है। इसमें जरा भी विचलन की स्थिति नहीं आए, इसके लिए ध्यान और मंत्रोच्चारण का भी सहारा लिया जाता है। यह व्यक्ति के स्व-सम्मोहन की स्थिति होती है, जिससे उसमें मन-मस्तिष्क को नियंत्रित करने की रहस्यमयी शक्ति आ जाती है।
सम्मोहन के लिए अपनाया जानेवाला प्रगतिशील विश्राम विधि भी काफी आसान है। इसके लिए सम्मोहित किए जाने वाले व्यक्ति को एक वैसे कमरे में तनावमुक्त अवस्था में बिठाएं जहां बहुत कम रोशनी हो। व्यक्ति को आरामदायक अवस्था में बैठाने के बाद उसके सामने से मन को भ्रमित करने या भटकाने वाले सामान, जैसे टीवी या कोई अन्य व्यक्ति को वहां से हटा दें। मोबाइल फोन बंद कर दें, इलेक्ट्राॅनिक्स गजट को दूर रख दें और बाहरी शोरगुल से बचने के लिए कमरे की तमाम खिड़िकियां और दरवाजे बंद कर दें।
सम्मोहन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले व्यक्ति को इस बारे में भी अच्छी तरह बताना चाहिए कि इससे उसके शरीर और मन-मस्तिष्क पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ने वाला है तथा यह एक तरह से उनको एक आरामदायक विश्राम की अवस्था में ले जाने के लिए किया जा रहा है। इसे आप बेहोशी नहीं कह सकते हैं, और न ही इससे आपके ऊपर कोई जादू किया जाने वाला है। इससे दिमाग में एक स्वप्न जैसी आभा बनेगी, जिससे आपमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो जाएगा। उन्हें यह आश्वस्त किया जाना चाहिए कि यह उनको चिंतामुक्त बनाएगा तथा इसी के साथ उस व्यक्ति से सम्मोहित करने के कारण और उसके लक्ष्य के बारे में भी पूछा जाना चाहिए, जिससे उनके भाव-समाधि के एक आभामंडल की सकारात्मक परिणाम देने वाली अवस्था बने।
सम्मोहन की प्रक्रिया के दौरान काफी धीमी और मधुरता के साथ बोलें, जिससे ऐसा प्रतीत हो कि आपके शब्द उसके मनोभाव को एक आवरण दे रहे हों। शरीर की मांशपेशियों को पूरी तरह से ढीला छोड़ते हुए विश्राम करने को कहें। अच्छी तरह से सांस लेने और छोड़ने को कहें। ऐसा करने से आॅक्सीजन की पर्याप्त मात्रा मस्तिष्क तक पहुंचती है और इस तरह से बनी शिथिलता बनने पर धीर-धीरे व्यक्ति की आंखें बंद होने के बावजूद वह नियंत्रण में रहता है।
इसके साथ ही सम्मोन के कुछ गुप्त उपाय भी अपनाए जा सकते हैं, जिससे अपने भीतर सम्मोहन की शक्ति बढ़ाई जा सकती है। जैसे बनस्पति श्वेत अपामार्ग की जड़ को घिसकर तिलक लगाने या मोर की कलगी को रेश्मी कपड़े में बांधकर रखने से सम्मोहन शक्ति बढ़ाई जा सकती है। स्त्रियां सम्मोहन शक्ति अपने मस्तक पर लगे लाल बिंदी के जरिए भी प्राप्त कर सकती है। आंखों के बीच लगे सिंदूर या रोली की बिंदी यदि खुद देख पाएं, तो समझें आपमें सम्मोहन शक्ति जागृत हो चुकी है। गुरुवार के दिन मूल नक्षत्र में केले की जड़ को सिंदूर के साथ पीसकर उसका तिलक लगाने से सम्मोन शक्ति बढ़ती है।
सम्मोहन का यह प्रयोग मन की ताकत का एहसास करवाता है तो कल्पनाशीलता और वैचारिकता के भाव को सुदृढ़ कर देता है। इसके परिणामस्वरूप शारीरिक बदलाव को सहजता से महसूस किया जा सकता है। अर्थात सम्मोहन से काफी हद तक यदि मानसिक रोगों को ठीक किया जा सकता है तो एक सीमा तक शारीरिक विकार को भी दूर किया जा सकता है। मन में गहराई तक बैठे डर को दूर करने का यह यह एक कारगर उपाय है, जिससे आत्मविश्वास की भावना का विकास संभव हो पाता है। दुष्कर से दुष्कर या असंभव कार्य करने की नीडरता आती है।
सम्मोहन से न केवल अपने दुख-दर्द को दूर किया जा सकता है, बल्कि भूत, भविष्य और वर्तमान की घटनाओं को भी जाना जा सकता है, या फिर मानवहित में किसी के प्राण बचाने तक में इसकी मदद ली जा सकती है। साथ ही बुरी आदतों से छुटकारा पाने का यह तरीका काफी उपयोगी साबित हो सकता है।